पर्युषण क्या है?

 (Paryushan)

Paryushan (पर्युषण) is the most important and holy festival in Jainism, celebrated by both Shwetambar and Digambar sects. It is a time for spiritual reflection, fasting, forgiveness, and purification of the soul.


🪔        पर्युषण क्या है?(What is Paryushan?)  

पर्युषण जैन धर्म का एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण पर्व है। यह आत्मशुद्धि, तप, क्षमा और साधना का पर्व माना जाता है। "पर्युषण" शब्द का अर्थ है — "आत्मा के निकट आना" या "आत्मा में वास करना"


🔷 पर्युषण का उद्देश्य:

  • आत्मशुद्धि करना

  • कर्मों का क्षय करना

  • तप और त्याग का पालन

  • सम्यक दृष्टि, ज्ञान और आचरण की प्राप्ति

  • क्षमायाचना और अहिंसा का पालन


🔶 दो प्रमुख समुदायों में पर्युषण:

  1. श्वेतांबर जैनों में – यह पर्व 8 दिन (अष्टानिका) तक चलता है। अंतिम दिन को समवसरण / संवत्सरी कहा जाता है।

  2. दिगंबर जैनों में – यह पर्व 10 दिन (दशलक्षण पर्व) तक मनाया जाता है।


🔸 पर्युषण में किए जाने वाले मुख्य कार्य:

  • उपवास (अनेक प्रकार के तप)

  • प्रतिक्रमण (पश्चात्ताप करना)

  • स्वाध्याय (शास्त्रों का अध्ययन)

  • क्षमा याचना – अंतिम दिन “मिच्छामी दुक्कड़म्” कहकर सबसे क्षमा माँगी जाती है।

  • मंदिर वंदन और पूजन

  • दान-पुण्य व संयम का पालन


🔹 मिच्छामी दुक्कड़म् का अर्थ:

"मैंने यदि आपसे मन, वचन या काया से कोई भी गलती की हो, जान-बूझकर या अनजाने में, तो कृपया मुझे क्षमा करें।


  • kavita 

      





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